गौ और भारत एक दूसरे के प्रयाय:- गोपाल मणि
Cow and India are Synonyms
भारत की समृद्धि के लिए गौ की प्रतिष्ठा आवश्यक:- संत गोपाल मणि
गाय का धार्मिक, आर्थिक व वैज्ञानिक महत्व : स्वामी गोपाल मणि महाराज
गौ को राष्ट्रमाता का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया गौक्रान्ति अग्रदूत संत गोपाल मणि महाराज ने
चण्डीगढ़ : भारतीय संस्कृति की मूलाधार गौमाता की समस्त वेद पुराणों व शास्त्रों में अनंत महिमा गाई गई है। अथर्ववेद में कहा गया है, 'पशवो न गावः' , 'गावो विश्वश्य मातरः' अर्थात् गाय पशु नही है, गाय विश्व की माता है। ये बात दिव्य धेनुमानस सदग्रंथ के रचयिता व भारतीय गौ क्रांति मंच, के संस्थापक परम पूज्य गौऋषि गोपाल मणि जी महाराज ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहे। उन्होंने कहा कि गौवंश भारत की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवम सांस्कृतिक धरोहर है। गाय का गोबर ईंधन, बायोगैस, जैविक खाद, डीजल-पेट्रोल के विकल्प के रूप में उपयुक्त माना जाता है,गोमूत्र का उपयोग फिनायल एवं कीटनाशक दवाई बनाने में किया जाता है। गाय के दूध से दही, घी, छाछ, पनीर, मक्खन, मावा, मिठाईयां बनाई जाती है। गाय सनातन धर्म में आस्था का प्रतीक है। इस प्रकार मानव जीवन में गाय का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अथर्ववेद के उपरोक्त सूत्र की अवधारणा को भारतीय जनमानस के ह्रदय पटल पर पुनः स्थापित करने के लिए हिमालय के संत गोपाल मणि जी महाराज 2008 से गौमाता राष्ट्रमाता महाभियान के माध्यम से जनजागरण कर संपूर्ण जनमानस में गौमाता की धार्मिक, आर्थिक व वैज्ञानिक महत्व से गाय को राष्ट्रमाता घोषित किए जाने हेतु पर्याप्त तथ्य एवम आधार है तथा इस से देश प्रदेश के करोड़ों लोगों की जन भावनाएं जुड़ी है। पूज्य गोपाल मणि जी महाराज के सानिध्य में भारतवर्ष के समस्त सनातनी गौ भक्तों के द्वारा दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में तीन बार वर्ष 2014, वर्ष 2016 व वर्ष 2018 में गौमाता को राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठा दिलवाने हेतु लाखों गौ भक्तों ने एकत्र होकर विशाल रैलियों के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया। पुनः देश के समस्त राज्यों की राजधानियों में रैलियों के माध्यम से राज्यपालों व मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन सौंपे गए। फिर भी सरकार ने सनातनी हिंदुओं की आस्था पर ध्यान केंद्रित नहीं किया। पुनः गोपाल मणि जी महाराज के सानिध्य में 2016 में ही दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर 18 दिन का अनशन कर संसद में कूच किया गया। इसके साथ ही देश के 676 जिलों में जनजागरण रैलियां कर समस्त जनमानस को जागृत करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से केंद्र सरकार को गौमाता की राष्ट्रमाता के तौर पर प्रतिष्ठा प्रदान करने का ज्ञापन भेजा गया।
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उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश की विधानसभाओं के द्वारा गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भेज कर एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया गया। इसके बाद से पूज्य महाराज अन्य राज्यों तथा केंद्र सरकार से लगातार गौमाता को राष्ट्रमाता का संवेधानिक सम्मान की मांग कर रहे हैं। इसी क्रम में पूज्य गोपाल महाराज के नेतृत्व में भारतीय गौ क्रांति मंच के प्रतिनिधिमंडल द्वारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं एवं कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की गई। देश के कई सांसदों ने अपनी और से इस भगीरथ प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा मिलनी ही चाहिए। पूज्य महाराज श्री का कहना है कि जितना गौमाता का धार्मिक महत्व है, उतना ही वैज्ञानिक महत्व है। आयुर्वेद में कोई भी औषधि बिना गौमूत्र से सोधन किए बिना नही बनती है इसलिए सरकार गौ की महिमा को समझे और आगामी 20 नवम्बर 2023 गोपाष्टमी से पूर्व गौमाता को इस देश के अन्दर राष्ट्रमाता का संवेधानिक सम्मान दे अन्यथा 20 नवम्बर 2023 गोपाष्टमी के दिन दिल्ली में लाखों सनातनी गौभक्त एकत्रित होगे।
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1 नवम्बर 2022 चंडीगढ़ में होने वाले गौमाता राष्ट्रमाता महासम्मेलन एक संकेत मात्र है गोमाता राष्ट्रमाता मिशन 2023 हेतु गोपाष्टमी के पावन पर्व पर "गोमाता राष्ट्रमाता आवाहान"दिनांक 1 नवम्बर 2022 समय : 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक स्थान : श्री गोपाल गोलोक धाम कैम्बवाला चण्डीगढ में होगा इस अवसर पर कई राज्यों के गोभगतो का आगमन होगा आज प्रेस कांफ्रेंस में गोपाल गोलोक धाम से आचार्य राकेश सेमवाल ,गिरवर शर्मा प्रवक्ता श्रीमती रत्नो देवी प्रधान श्री नन्द कुमार जी सुभाष शर्मा ओमपाल शर्मा शिव कुमार शर्मा जयबीर मित्तल पी. पी० वलादी हेमचंद्र कश्यप धर्मपाल शर्मा परमजीत कौर सुरेन्द्र जोशीकृष्ण कुमार शर्मा 'श्रीमती रीटा भनोट उपस्थित रहे